I like this poem and want to share
होगी किसी को ख्वाहिस
चाँद,सितारों को पाने की
अपनी तो ख्वाहिस है
खुद सितारा बन जाने की
कोई चाहता होगा
किसी को दिल मे बसाना
मेरी तो चाहत है
हर दिल मे बस जाने की
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है|
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है|
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है|
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में|
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो|
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम|
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत हमारी,
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
हम इक ज़ाम हैं हमें होंठो से लगाना होगा ......
हमारी आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं ;
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं ..
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की साकी ;
हमारी नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते है ... ..|
चाँद,सितारों को पाने की
अपनी तो ख्वाहिस है
खुद सितारा बन जाने की
कोई चाहता होगा
किसी को दिल मे बसाना
मेरी तो चाहत है
हर दिल मे बस जाने की
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है|
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है|
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है|
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में|
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो|
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम|
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|
अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत हमारी,
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
हम इक ज़ाम हैं हमें होंठो से लगाना होगा ......
हमारी आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं ;
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं ..
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की साकी ;
हमारी नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते है ... ..|
Comments
Post a Comment